जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: नवीनीकृत दा विंची सर्जिकल रोबोट का आयात नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। मरीजों की सुरक्षा के अलावा, यह आरोप लगाया जा रहा है कि इससे ‘मेड इन इंडिया’ के तहत सर्वश्रेष्ठ सर्जिकल रोबोट मंत्रा की संभावना भी खत्म की जा रही है। इस मामले में सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि यह निहित स्वार्थ के चलते किया जा रहा काम है।
पीएम मोदी के मेक इन इंडिया मंत्र को दरकिनार कर डीजीएचएस के अधिकारी इस अवैध आयात को बढ़ावा दे रहे हैं और देसी निर्माण को कमजोर कर रहे हैं। भारत में बनाए जा रहे चिकित्सा उपकरण मंत्रा को बढ़ावा देने के बदले नवीनीकृत दा विंची के आयात को मंजूरी दी जा रही है। जबकि केंद्र की मोदी सरकार इस तरह के विदेशी उपकरण के आयात पर प्रतिबंध लगा रखी है।
मंत्रा के निर्माता एसएसआई इनोवेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी ने डीजीएचएस डॉ. अतुल गोयल को पत्र लिखकर द विंची के आयात पर नाराजगी जताया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के नारे को ‘आघात’ पहुंचाने का आरोप लगाया है। रेड्डी ने धमकी दी है कि अगर उनकी वास्तविक चिंताओं का समाधान नहीं किया गया तो वे इस मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय तक ले जाएंगे। पत्र में शिकायत की गई है कि डीजीएचएस समिति के निर्णयों में असंगतता मेक इन इंडिया की प्रगति और संभावना को खतरे में डाल रही है। हालांकि पत्र में इंट्यूटिव के दा विंस का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन पत्र में इसका संकेत दिया गया है। भारत में केवल इंट्यूटिव ही नवीनीकृत सर्जिकल रोबोट आयात कर रहा है और सूत्रों ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो नवीनीकृत दा विंसी एक्स रोबोट का आयात कर रहा है।
रेड्डी ने डीजीएचएस को जो पत्र लिखा है उसका पूरा ब्योरा नीचे दिया जा रहा है
प्रिय श्री गोयल, हम, सुधीर श्रीवास्तव इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम स्थित सॉफ्ट टिशू रोबोटिक असिस्टेड सर्जिकल सिस्टम, इंस्ट्रूमेंट्स और एक्सेसरीज़ के निर्माता हैं, आपसे कई बार मुलाकात हुई है। एमओईएफ के दिनांक 15.10.2024 के संलग्न कार्यालय ज्ञापन के संदर्भ में, जो चिकित्सा उपकरणों के महत्वपूर्ण देखभाल के अतिरिक्त उच्च अंत और उच्च मूल्य के प्रयुक्त/नवीनीकृत चिकित्सा उपकरणों की संशोधित सूची के लिए डीजीएचएस कार्यालय के दिनांक 20.08.2024 के संदर्भ को इंगित करता है। भारत में निर्मित समान उत्पादों को शामिल करने वाले कार्यालय ज्ञापन में नवीनीकृत उपकरणों के आयात की अनुमति है, जो हमारे लिए बहुत निराशाजनक और चौंकाने वाली सूचना है। जून 2023 के डीजीएचएस कार्यालय आदेश के बाद से, हम आपसे कई बार मिले हैं और हमने उन उत्पादों के संबंध में पर्याप्त जानकारी प्रस्तुत की है जो भारत में स्वदेशी रूप से निर्मित हैं, जिनमें 70% से अधिक स्थानीय सामग्री मूल्यवर्धन है जो उच्च स्तरीय और ज्यादा कीमत वाले चिकित्सा उपकरणों के लिए बहुत ज्यादा है। इस प्रणाली को देश के 50 से अधिक अस्पतालों में रखा गया है । साथ ही 30 फीसदी शेयर के साथ नेपाल, इंडोनेशिया समेत कई विदेशी अस्पतालों में भी स्थापित किया गया है। हमने कई निजी और सरकारी संस्थानों में सिस्टम लगाए हैं, जिनमें मेदांता, एस्कॉर्ट्स फोर्टिस शामिल हैं और एम्स दिल्ली में अगले एक सप्ताह में सिस्टम लगाए जा रहे हैं। एक तरफ हम भारत के लिए इस तरह के उच्च स्तरीय और परिष्कृत चिकित्सा उपकरण बनाने पर गर्व करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से यह ओएम हमें एक दर्दनाक स्थिति में ला दिया है। साथ ही व्यावसायिक अस्थिरता, कंपनी में 400 से अधिक कर्मचारियों की जिंदगी और एक सर्जन का अपमान भी कर रहा है। हमारे उत्पाद को विश्व स्तर पर सम्मान दिया जा रहा है तो भारत में ही उनके बलिदान का अनादर किया जा रहा है। हम अभी भी यह नहीं समझ पाए हैं कि सभी प्रकार की जानकारी देने के बावजूद भी हमारे उत्पाद को दरकिनार कर डीजीएचएस कार्यालय नवीनीकृत उत्पादों के आयात का समर्थन क्यों कर रहा है। यह आदेश घरेलू विनिर्माण की प्रगति में रोड़े अटका रहा है और निर्माताओं के आत्मविश्वास को कमजोर कर रहा है। साथ ही भारत में व्यापार बंद करने की साजिश रची जा रही है। डीजीएचएस समिति के असंगत फैसले न केवल प्रधानमंत्री की “मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत के विजन को आगे बढ़ने से रोकने का एक प्रयास है साथ ही भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के लिए खतरे का संकेत भी है। एक सर्जन के विजन के लिए भी खतरा महसूस किया जा रहा हैं, जिन्होंने भारत में इस महत्वपूर्ण तकनीक को विकसित करने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है। आज हमें गर्व महसूस करना चाहिए और भारत को हाई एंड सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम का निर्माता होने के लिए वैश्विक मानचित्र पर रखने का अवसर मिला है।
सरकार को हमारे जैसी कंपनियों के साथ मिलकर नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए, रोजगार के अवसर पैदा करने चाहिए। लेकिन यह कहना दुखद है और सच्चाई यह है कि ऐसा लगता है कि सरकारी कार्यालयों में बैठकर ये असंगत नीतियां बनाने वाले कुछ सरकारी अधिकारियों को भारत पर गर्व नहीं है और वे भारत को उच्च प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते हैं। दुर्भाग्य से ये निर्णय आयातित उत्पादों पर भारत की निर्भरता को बढ़ाते रहेंगे और भारत के नागरिकों को रिफर्बिश्ड उपकरणों के संपर्क में लाएंगे जो उपचार की गुणवत्ता से समझौता करते हैं। हम चाहते हैं कि यह निर्णय वापस लिया जाए।