जनजीवन ब्यूरो / रांची । चुनावी मौसम में झारखंड में दाना तूफान की ठंड के बीच सियासी पारा चढ़ा हुआ है। चुनाव में झारखंड का इतिहास भी पूरे देश में खास रहा है। फिलहाल लोगों की दिलचस्पी उन सीटों पर भी रहती है, जहां उम्मीदवार कुछ मतों से मुकाबला जीतते हैं। दूसरी ओर कई सीटें ऐसी भी होती हैं, जहां प्रत्याशी बड़े मतों के अंतर से चुनाव में जीत दर्ज करते हैं।
पहले जानते हैं कि 2019 के नतीजे कैसे थे?
झारखंड में पिछले विधानसभा चुनाव 30 नवंबर से 20 दिसंबर 2019 के बीच पांच चरणों में हुए थे। इसमें कुल 65.18 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। नतीजे 23 दिसंबर 2019 को घोषित किए गए। जब नतीजे सामने आए तो सत्ताधारी भाजपा को झटका लगा और वह 41 सीटों के जादुई आंकड़ों से पिछड़ गई। हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो को सबसे ज्यादा 30 सीटें आईं और इसे 18.72% वोट मिले। इसके बाद भाजपा को 25 सीटें मिलीं जिसने 33.37% मत हासिल किए। अन्य दलों की बात करें तो कांग्रेस के 16 विधायक (13.88% वोट), झाविमो के तीन (5.45% वोट) और आजसू के दो विधायक (8.1% वोट) जीते। इसके अलावा दो निर्दलीय विधायक जबकि राजद, भाकपा (माले) और एनसीपी के एक-एक विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे।
2019 में सबसे कम अंतर वाली सीटें कौन सी थीं?
बीते विधानसभा चुनाव में 1000 से कम अंतर वाली दो सीटें थीं। ये सीटें थीं सिमडेगा और बाघमारा। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के खाते में एक-एक सीट गई थी। सिमडेगा विधानसभा सीट से कांग्रेस के भूषण बारा महज 285 वोट से यह चुनाव जीते थे। वहीं बाघमारा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के दुलु महतो मात्र 824 वोट से जीत कर विधानसभा पहुंचे थे।
कितनी सीटों पर जीत का अंतर 1000 से 5000 वोटों के बीच था?
पिछले चुनाव में छह सीटें ऐसी रहीं, जहां जीत का अंतर 1000 से 5000 वोट के बीच था। इनमें से तीन सीटों पर भाजपा जबकि दो सीटों पर झामुमो और एक सीट पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। ये सीटें थीं- कोडरमा, जामा, देवघर, जरमुंडी, नाला और गोड्डा।
5,000 से 10,000 की बीच अंतर वाली सीटें कौन सी थीं?
पिछले चुनाव में 10 सीटें ऐसी रहीं जहां जीतहार का अंतर 5,000 से 10,000 वोट के बीच था। इनमें से पांच सीटों पर भाजपा, तीन सीटों पर झामुमो और एक-एक सीट पर एनसीपी और कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली थी। ये सीटें थीं- खिजरी, रांची, घाटशिला, गुमला, सिंदरी, बिश्रामपुर, गांडेय, चंदनकियारी, तोरपा और हुसैनाबाद।
सबसे बड़ी जीत किसके खाते में गई थी?
पिछले विधानसभा चुनाव में पांच सबसे बड़ी जीतों की बात करें तो इनमें दो-दो सीटें भाजपा और कांग्रेस तो एक सीट झामुमो के खाते में गई थी। पिछले चुनाव में सबसे बड़ी जीत करने वाले कांग्रेस की दीपिका पांडे सिंह थीं। मौजूदा सरकार में कृषि मंत्री दीपिका गोड्डा जिले की महगामा सीट से 89,224 वोट से चुनाव जीतने में कामयाब हुई थीं। इसके बाद पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम पाकुड़ सीट से 65,108 वोट से चुनाव जीते थे।
तीसरी सबसे बड़ी जीत समीर कुमार मोहंती के नाम रही थी। पूर्वी सिंहभूम जिले की बहरागोड़ा सीट से उतरे मोहंती 60,565 मतों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
चौथी सबसे बड़ी जीत भाजपा के मनीष जयसवाल के नाम रही थी। हजारीबाग सीट से उतरे मनीष ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 51,812 मत से हराया था। वह अब हजारीबाग लोकसभा सीट से सांसद भी बन चुके हैं।
पांचवीं सबसे बड़ी जीत भाजपा के जय प्रकाश भाई पटेल ने हासिल की थी। हजारीबाग जिले की मंडू सीट पर जय प्रकाश 48,123 मत से चुनाव जीते थे।