Janjivan Bureau/ कोप्पल : देश के इतिहास में शायद ऐसा पहली पहली हुआ है जब अदालत ने दलितों पर अत्याचार के एक मामले में सामूहिक रूप से लोगों को उम्रकैद की सजा सुना दी है. कर्नाटक की कोप्पल जिला एवं सत्र न्यायालय ने गुरुवार को जाति संघर्ष केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने दस साल पहले गंगावती तालुक के मरुकुम्बी गांव में हुए जाति संघर्ष मामले में 101 दोषियों में से 98 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ-साथ सभी दोषियों पर 5-5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. 10 साल पुराने यह मामला गंगावटी तालुक के माराकुंबी गांव का है, जहां पर दलितों को टारगेट करके हमला करने और उनके साथ भेदभाव का मामला सामने आया था.
यह मामला 28 अक्टूबर 2014 को कोप्पल जिले के गंगावती तालुका के मरुकुम्बी में हुए जाति संघर्ष का है. कोप्पल कोर्ट के न्यायाधीश चंद्रशेखर सी. ने यह फैसला सुनाया. जानकारी के मुताबिक यह देश का पहला ऐसा मामला है जिसमें जाति संघर्ष केस में 101 लोगों को दोषी ठहराया गया है.
बता दें, कोर्ट में 101 आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित हुए. जातिगत गाली-गलौज का मामला उन तीन लोगों पर लागू नहीं हुए क्योंकि ये तीनों अनुसूचित जाति और जनजाति से संबंधित थे, इसलिए 101 लोगों में से इन तीन दोषियों को पांच साल की जेल और 2 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई. हालांकि, दंगा करने के लिए उन्हें पांच साल के लिए जेल की सजा भुगतनी पड़ेगी.
सरकारी वकील अपर्णा बुंडी ने बताया कि इस मामले में 117 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करके मुकदमा चलाया गया था. 29 अगस्त 2014 को पुलिस में एक शिकायत की गई थी. इस शिकायत में दलितों पर अत्याचार और उनके घरों में आग लगा देने की जानकारी दी गई. इस हिंसा के 3 महीने बाद तक माराकुंबी गांव में पुलिस की टीम तैनात थी. कर्नाटक राज्य दलित अधिकार समिति (Karnataka State Dalit Rights Committee) ने इस, मुद्दे पर आंदोलन किया था. इसके बाद कई दिनों गंगावटी पुलिस स्टेशन (Gangavathi Police Station) को सीज कर दिया गया था. जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले की चार्जशीट में शामिल लोगों में से 16 की केस के सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई. सभी दोषियों को बल्लारी जेल में बंद किया गया है और उन सभी पर 5 हजार से लेकर 2000 का जुर्माना भी लगाया गया है.
यह है मामला
कोप्पल जिले के मरुकुम्बी गांव में 2014 में दलितों को नाई की दुकान और होटल में प्रवेश न देने के विरोध में जातिगत संघर्ष हुआ था. घटना का जानकारी मिलते ही पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का दौरा किया और मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी, लेकिन बाद में वहां एक और मामला दर्ज हो गया.