जनजीवन ब्यूरो/ नई दिल्ली । अंजीव कुमार जैन ने आज नवरत्न सी.पी.एस.ई. एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के निदेशक (वित्त) का कार्यभार ग्रहण किया। भारत सरकार द्वारा निदेशक (वित्त) के रूप में नियुक्ति से पहले जैन नवरत्न सी.पी.एस.ई. राइट्स लिमिटेड में कार्यपालक निदेशक (वित्त) के रूप में सेवारत थे, जहां उन्होंने निगमित वित्त, जोखिम प्रबंधन और परियोजना सलाहकार में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। राइट्स में उनके योगदान के कारण कंपनी को वित्तीय रिपोर्टिंग में उत्कृष्टता के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए तथा उनके कार्यकाल के दौरान कंपनी को नवरत्न का दर्जा भी प्राप्त हुआ।
जैन के पास सार्वजनिक उद्यमों और सरकारी पहलों सहित विभिन्न क्षेत्रों में वित्त और लेखा क्षेत्र में लगभग तीन दशकों का व्यापक अनुभव है। जैन ने अपना करियर भारत के सी एंड एजी के रक्षा लेखापरीक्षा विंग से शुरू किया और विभिन्न रक्षा प्रतिष्ठानों की लेखापरीक्षा संभालने का अनुभव प्राप्त किया। वे अनुसूची ‘क’ – नवरत्न सी.पी.एस.ई. एन.एच.पी.सी. लिमिटेड में 15 वर्षों तक कार्यरत रहे, जिसमें उन्होंने कॉर्पोरेट लेखा, सांविधिक और सीएजी लेखापरीक्षा, लागत लेखाओं, संविदा प्रबंधन, लेखांकन मानकों के अनुपालन और लागू सांविधिक एवं वित्त मूल्यांकन से संबंधित कार्यों को संभाला। श्री जैन ने नवंबर, 2011 में यांगून, म्यांमार में सी.आई.आई. द्वारा आयोजित “एंटरप्राइज इंडिया” में एन.एच.पी.सी. का प्रतिनिधित्व किया। अनुसूची-‘क’ रेलवे सी.पी.एस.ई. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डी.एफ.सी.सी.आई.एल.) में अपने कार्यकाल के दौरान, श्री जैन ने वित्त एवं कॉर्पोरेट लेखा, लेखापरीक्षा, जोखिम प्रबंधन, संविदा प्रबंधन – एफ.आई.डी.आई.सी., विश्व बैंक और जे.आई.सी.ए. के साथ समन्वय आदि से संबंधित विभिन्न कार्यों को संभाला। उन्हें रेल मंत्री से वर्ष 2017 में एम्प्लॉय ऑफ द ईयर का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
उन्होंने रेल मंत्रालय की इक्विटी भागीदारी वाली राइट्स की सहायक कंपनी आर.ई.एम.सी. के बोर्ड में निदेशक के रूप में भी कार्यरत रहे, जिसमें खुली पहुंच के तहत भारतीय रेलवे (आई.आर.) के लिए बिजली की अधिप्राप्ति और भारतीय रेलवे को नेट जीरो कार्बन पहल की सुविधा प्रदान करना शामिल था। वे आर.ई.एम.सी. के सी.एफ.ओ. के रूप में भी कार्यरत रहे। उनके कार्यकाल के दौरान आर.ई.एम.सी. ने अब तक का सर्वोच्च प्रदर्शन किया और ऋण मुक्त भी हो गयी।
जैन भारतीय लागत लेखाकार संस्थान (सी.एम.ए.) के फेलो सदस्य हैं, उनके पास विधि में डिग्री और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (वित्त प्रबंधन) में स्नातकोत्तर डिप्लोमा है। उन्हें वित्त एवं लेखा, लागत लेखा, लेखापरीक्षा, सरकारी अधिप्राप्ति, जोखिम प्रबंधन, पी.पी.पी. के लिए लेनदेन परामर्श, संविदा प्रबंधन, निविदा एवं वित्त मूल्यांकन आदि के क्षेत्र में लगभग तीन दशकों का अनुभव है।