जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: 11 साल बाद देशभर के 11 लाख रेल कर्मचारी अपनी नौकरी को लेकर अपने संगठन के चुनाव में जुटे हुए हैं। करीब 85 प्रतिशत वोट पड़ने के आसार हैं. तीन दिन में मतदान इसीलिए हो रहा है क्योंकि जो रनिंग स्टाफ हैं और ट्रेन लेकर बाहर गए हैं वह वापस आकर मतदान कर सकें. रेलवे के ट्रेड यूनियन का चुनाव सबसे बड़ा चुनाव माना जाता है. रेलवे के ट्रेड यूनियन का चुनाव देशभर के सभी 17 जोन में 4, 5 और 6 नवंबर को होंगे. इसके लिए सभी जोन में क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर के संगठन चुनाव लड़ रहे हैं. जो भी संगठन नौ जोन में जीत दर्ज करेगा उसी राष्ट्रीय स्तर की यूनियन का दर्जा मिलेगा और वही यूनियन कर्मचारियों के हितों व अन्य मुद्दों को लेकर रेल मंत्रालय व रेलवे बोर्ड से बात करेगी.
राजधानी दिल्ली में ट्रेड यूनियन के चुनाव में रेल कर्मचारियों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है. देशभर में रेलवे ट्रेड यूनियन का चुनाव 4 दिसंबर सुबह 8 बजे से शुरू हुआ. इसके लिए 5 और 6 दिसंबर को भी मतदान होना है. कर्मचारी उत्साह से मतदान कर रहे हैं. निजीकरण के विरोध करने वाली यूनियन को रेलवे कर्मचारी ज्यादा मतदान कर रहे हैं. रेल मंत्रालय की तरफ से मतदान के लिए रेलवे स्टेशन वर्कशॉप और अन्य कार्यालय में मतदान केंद्र बनाया गया है, जिससे रेल कर्मचारी सुगमता से मतदान कर सकें.
नई दिल्ली में डीआरएम ऑफिस के अंदर मतदान केंद्र से मतदान कर बाहर निकले रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर अनुज कुमार ने बताया कि उन्होंने कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने वाली यूनियन को अपना मत दिया है. रेल कर्मचारी दिनेश चंद्र ने कहा कि एनआरएमयू रेलवे कर्मचारियों की सीटों के लिए पिछले 100 साल से काम कर रही है. पहले ओल्ड पेंशन स्कीम लागू थी इसके लिए यूनियन की तरफ से काफी संघर्ष किया गया. इसके बाद सरकार ने यूपीएस लागू की. हालांकि इसमें भी अभी कई संशोधन किए जाने हैं.
रेलवे में ऑफिस सुपरिटेंडेंट ममता राणा ने बताया कि यूनियन के अच्छे कार्यों को देखते हुए प्रदान किया है रेलवे के पर्सनल ब्रांच में कार्यरत सोनिया कश्यप का कहना है कि रेलवे कर्मचारियों के साथ कई तरीके के इशू रहते हैं. यूनियन सरकार से बात करती है. लंबे समय से रेलवे में प्राइवेटाइजेशन का काम चल रहा है. इन सब चीजों को लेकर रेलवे कर्मचारी परेशान रहते हैं.
इन शहरों में बनाए गए मतदान केंद्र: उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि उत्तर रेलवे में ट्रेड यूनियनों की मान्यता के लिए 4 दिसंबर से मतदान शुरू हो गया है. 5 और 6 दिसम्बर को भी मतदान होगा. जिससे रनिंग स्टाफ भी मतदान कर सकें. इस चुनाव में उत्तर रेलवे के लगभग 1, 24, 224 रेलकर्मी 210 मतदान बूथों पर अपना मताधिकार का प्रयोग करेंगे. मतदान की प्रक्रिया उत्तर रेलवे के विभिन्न मंडलों और यूनिट्स द्वारा विभिन्न मतदान केंद्रों पर हो रही है. मतदान केंद्र दिल्ली, अम्बाला, लखनऊ, फिरोजपुर, मुरादाबाद, चारबाग लखनऊ, आलमबाग लखनऊ, जगाधरी, अमृतसर, कश्मीरी गेट (निर्माण), उधमपुर श्रीनगर बारामुला रेल लिंक (जम्मू), और प्रधान कार्यालय (सभी पुल इकाइयां) जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर बनाए गए हैं.
विशेष रेल सुविधा पास जारी: हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि सभी रेलकर्मियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा है कि जो कर्मचारी अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए बाहर से आएंगे, उन्हें विशेष रेल सुविधा पास जारी किए गए हैं, ताकि वे निर्धारित मतदान बूथों तक पहुंच सकें. इसके अतिरिक्त, उत्तर रेलवे के कार्मिक विभाग ने एक मोबाइल एप्लिकेशन भी विकसित किया है, जिसके माध्यम से कर्मचारी अपनी एचआरएमएस आईडी या पीएफ नंबर का उपयोग करके अपने मतदान केंद्र का पता लगा सकते हैं. इन चुनावों में शामिल प्रमुख यूनियनों में नॉर्दन रेलवे एम्पलाइज यूनियन, नार्दन रेलवे मेंस यूनियन, स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन, उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन, और उत्तरी रेलवे मजदूर यूनियन शामिल हैं. वहीं, मतदान की मतगणना 12 दिसम्बर को होगी.
एआईआरएफ के राष्ट्रीय महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि रेलवे के ट्रेड यूनियन का चुनाव 2013 में हुआ था. 11 साल बाद चुनाव हो रहा है, जबकि चुनाव साल 2019 में हो जाना चाहिए था. चुनाव को कराने के लिए कोर्ट में जाना पड़ा. इसके बाद 4, 5 और 6 दिसंबर को रेल मंत्रालय रेलवे के यूनियन की मान्यता के चुनाव करा रहा है. जो भी जीतकर आएगा उसे की मान्यता दी जाएगी और वही मंत्रालय से बात कर पाएगा. इस चुनाव से यह पता चलेगा कि जो भी ट्रेड यूनियन काम कर रही हैं. उनमें कौन सी पॉपुलर है और किसको कितना वोट शेयर मिल रहा है.
11 लाख रेल कर्मचारी इस चुनाव में लेंगे भाग
शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि देशभर के 11 लाख कर्मचारियों के इस चुनाव में भाग लेने की उम्मीद है. करीब 85 प्रतिशत वोट पड़ने के आसार हैं. तीन दिन में मतदान इसीलिए हो रहा है क्योंकि जो रनिंग स्टाफ हैं और ट्रेन लेकर बाहर गए हैं वह वापस आकर मतदान कर सकें. उत्तर रेलवे में पांच यूनियन चुनाव लड़ रही हैं. यह चुनाव वैलेट पेपर के जरिए होगा. 12 दिसंबर तक इस चुनाव का परिणाम निकलेगा.
रेलवे को निजीकरण से बचाना इस चुनाव का प्रमुख मुद्दा-शिव गोपाल मिश्रा
शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि एक महीने से इस चुनाव के लिए प्रचार प्रसार किया जा रहा है. सबसे बड़ा मुद्दा रेलवे को निजीकरण से बचाना है. सातवां पे कमीशन लागू हुए 10 साल पूरे होने के है. ऐसे में आठवां पे कमीशन लाना जरूरी है. खाली पदों को भरा जाना चाहिए, जिससे कर्मचारियों का तनाव कम हो सके. कर्मचारियों के वर्किंग कंडीशन में सुधार होना चाहिए. रेलवे के क्वार्टर बहुत खराब हैं. कर्मचारियों के प्रमोशन समेत अन्य मुद्दों को हम लोगों ने व्यापक स्तर पर रखने का काम किया. हमारी एसोसिएशन आने के बाद इन्हें लागू कराने का काम किया जाएगा.
राष्ट्रीय संगठन के लिए 9 जोन में जीतना जरूरी
शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि जो संस्था नौ जोन में जीतकर आती थी, राष्ट्रीय स्तर पर उसको मान्यता मिल जाती है. एआईआरएफ को मान्यता मिलने में समस्या नहीं आती है क्योंकि यह 100 साल पुरानी संस्था है. नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमेंस (एनएफआईआर) 2009 से राष्ट्रीय संस्था है. शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय संस्था के दर्जे के लिए नौ जोन में जीतना जरूरी है. 2009 में कांग्रेस की सरकार थी. मैं रेलवे कर्मचारियों से बढ़-चढ़कर मतदान करने की अपील करता हूं क्योंकि एआईआरएफ ने क्षेत्रीय संगठनों के साथ रेल को बचाने का काम किया है. तमाम मांगे पूरी करनी है तो एक लड़ने वाली यूनियन को इस चुनाव के जरिए लाना पड़ेगा.
पेंशन स्कीम में कराएंगे संशोधन
शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि लोग ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे थे. लेकिन सरकर यूनीफाइड पेंशन स्कीम लेकर आई है. इसमें भी बहुत सी खामियां हैं. इसमें संशोधन लिए बात की जाएगा. कुछ चीजें यूपीएस में बेहतर भी हैं. हमने कर्मचारियों से इस मुद्दे पर समय मांगा हुआ है.