जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । नीति आयोग ने दावा किया है कि भारत का निर्यात दर बढ़ा है। नीति आयोग की उपाध्यक्ष सुमन बेरी वित्त वर्ष 2024 (अप्रैल से जून) की पहली तिमाही के लिए भारत के व्यापार सांख्यिकी का विश्लेषण करते हुए नीति आयोग का “ट्रेड वॉच क्वार्टरली का नवीनतम प्रकाशन जारी किया। जिसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के दौरान भारत के व्यापार प्रदर्शन में स्थिरता और मध्यम वृद्धि देखी गई। कुल व्यापार 576 बिलियन डॉलर रहा, जो साल-दर-साल 5.45 फिसदी की वृद्धि दर्शाता है। कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्यों डॉ. वी.के. सारस्वत और डॉ. अरविंद विरमानी, आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम और अन्य वरिष्ठ अधिकारी अपस्थित रहे।
नीति आयोग के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के दौरान भारत के व्यापार प्रदर्शन में स्थिरता और मध्यम वृद्धि देखी गई। कुल व्यापार 576 बिलियन डॉलर रहा, जो साल-दर-साल 5.45 फिसदी की वृद्धि दर्शाता है। व्यापारिक निर्यात में संयमित वृद्धि देखी गई, जो लोहा और इस्पात जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के साथ-साथ प्राकृतिक और सुसंस्कृत मोती में गिरावट से प्रभावित थी। दूसरी ओर, विमान, अंतरिक्ष यान, खनिज ईंधन और वनस्पति तेलों सहित उच्च मूल्य वाली वस्तुओं द्वारा आयात को बढ़ावा दिया गया। सेवाओं के निर्यात में उत्साहजनक अधिशेष दिखा। कार्यक्रम के दौरान नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने डेटा-संचालित दृष्टिकोण और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के महत्व पर जोर दिया और कहा कि प्रत्येक तिमाही में भारत की व्यापार स्थिति का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करके, प्रकाशन साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण का समर्थन करेगा। यह पहल भारत की व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने की प्रतिबद्धता के साथ जुड़ी हुई है, जिसका उद्देश्य विकसित भारत (भारत/2047) के लिए भारत की व्यापार क्षमता का लाभ उठाना और तेजी से बदलते वैश्विक व्यापार वातावरण में सतत विकास सुनिश्चित करना है। जबकि उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह प्रकाशन सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा देगा, नीतिगत पहलों को मजबूत करेगा और वैश्विक व्यापार परिदृश्य में दीर्घकालिक सतत विकास को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि इसके निष्कर्ष भविष्य की नीतियों और हस्तक्षेपों को आकार देने में सहायक होंगे, जिसका उद्देश्य उन बाजारों और क्षेत्रों की पहचान करके व्यापार क्षेत्रों में प्रगति को बढ़ावा देना है जहां भारत एक मजबूत तुलनात्मक लाभ प्राप्त कर सकता है। वहीं नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने एक व्यापक व्यापार प्रकाशन तैयार करने के लिए पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि यह दस्तावेज भारत के उभरते व्यापार परिदृश्य को दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत को चीन प्लस वन रणनीति के कारण पैदा हुए अवसरों का लाभ उठाने में सीमित सफलता मिली है। रिपोर्ट के अनुसार 2024 में वैश्विक व्यापार परिदृश्य भू-राजनीतिक घटनाक्रमों से काफी प्रभावित हुआ है। जिसके कारण, इस नीति का सीमित फायदा मिला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को चीन स्थान पर विनिर्माण के एक पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट में बताया गया है कि वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया और मलेशिया जैसे देशों ने अपने विनिर्माण आधारों में विविधता लाने की इच्छुक कंपनियों को आकर्षित करने में भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
नीति आयोग ने कहा, “भारत को अब तक चीन प्लस वन रणनीति को अपनाने में सीमित सफलता मिली है। वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया और मलेशिया इस रणनीति के बड़े लाभार्थी बन गए हैं”। रिपोर्ट में कहा गया है कि सस्ते श्रम, सरलीकृत कर प्रणाली, कम टैरिफ और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) सहित सक्रिय व्यापार नीतियों जैसे कारकों ने इन देशों को भारत पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दी है।
भारत के लिए, नीति आयोग का कहना है कि चल रहे भू-राजनीतिक घटनाक्रम अवसर और जोखिम दोनों पेश करते हैं। सकारात्मक पक्ष पर, बहुराष्ट्रीय निगम भारत को विनिर्माण केंद्र के रूप में देख रहे हैं, विशेष रूप से उच्च तकनीक उद्योगों में।
हालांकि, भारत की प्रगति धीमी रही है, विनियामक बाधाओं, उच्च लागतों और रसद अक्षमताओं से प्रक्रिया प्रभावित रही है। इसके अतिरिक्त, भारत को चीन की ओर से अपने बाजार में माल डंप करने के जोखिम से सावधान रहना चाहिए, जो घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में व्यवधानों को दूर करना होगा, और चीन की ओर से भारतीय बाजारों में अपने उत्पादों को डंप करने से सावधान रहना होगा। दूसरी ओर, भारत को चीन से अपने विनिर्माण ठिकानों को स्थानांतरित करने की इच्छुक कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में देखा जाता है।”
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति शृंखला को और अधिक विखंडित कर दिया है। अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर सख्त निर्यात नियंत्रण और उच्च शुल्क लगाए हैं, जिससे उत्पादन लागत बढ़ गई है और कंपनियों को चीनी विनिर्माण के विकल्प तलाशने पर मजबूर होना पड़ा है। यह स्थिति अवसर पैदा करती है, पर भारत के लिए बदलती गतिशीलता को नेविगेट करने के लिए चुनौतियां पेश करती है।
नीति आयोग ने कहा किचीन प्लस वन रणनीति का अधिकतम लाभ उठाने के लिए भारत को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार करने, अपनी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने और वैश्विक व्यापार समझौतों में सक्रिय रूप से शामिल होने की जरूरत है।