जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस में बुधवार को कहा कि विपक्ष को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि उनके आचरण ने राष्ट्र के गौरव को नुकसान पहुंचाया है।
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि विपक्ष की आवज को दबाया जाता है। सभापति राजनीति से परे होते हैं, लेकिन वह आरएसएस की तारीफ करते हैं। सभापति को निष्पक्ष नहीं होना चाहिए। राज्यसभा के सभापति को हटाने का नोटिस व्यक्तिगत शिकायतों या राजनीतिक लड़ाई से जुड़ा नहीं है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्यसभा अध्यक्ष स्कूल के प्रधानाध्यापक की तरह काम करते हैं, अनुभवी विपक्षी नेताओं को उपदेश देते हैं, उन्हें बोलने से रोकते हैं। राज्यसभा में व्यवधान का सबसे बड़ा कारण खुद अध्यक्ष हैं। वे सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सदन में राज्यसभा अध्यक्ष के आचरण ने देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। हम राज्यसभा अध्यक्ष के खिलाफ नहीं है, लेकिन उन्होंने हमें उन्हें हटाने के लिए नोटिस देने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा। हम राज्यसभा के सभापति के व्यवहार और पक्षपात से तंग आ चुके हैं। इसीलिए हमने उन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के नोटिस को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी सांसदों में बुधवार को तकरार हुई। एनडीए नेताओं ने इस कवायद को राजनीति से प्रेरित बताया, जबकि इंडी गठबंधन के सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया।
केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि इस नोटिस का उद्देश्य कांग्रेस नेतृत्व और अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस के बीच कथित संबंधों के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाना है।
उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को सरकार ने बेहद अफसोसजनक करार दिया है। संसदीय कार्यमंत्री किरन रिजिजू ने उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ के कामकाज की सराहना करते हुए कहा कि सरकार को उनपर गर्व है।
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य नदीमुल हक ने कहा कि विपक्ष के नेता से सहमत हूं, हमें राज्यसभा में अपनी बात कहने की अनुमति नहीं है। वहीं द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा संसद में देश के लोकतंत्र पर खुला हमला किया जा रहा है।