जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने संविधान पर चर्चा की शुरुआत में ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर तंज कसते हुए कहा कि हम म्यूनिसिपैलिटी स्कूल में पढ़े हैं। उन्होंने जेएनयू से पढ़ाई की है। उनकी अंग्रेजी अच्छी हो सकती है, लेकिन करतूत अच्छी नहीं है। मल्लिकार्जुन खरगे ने इंदिरा गांधी की सरकार के समय बांग्लादेश की आजादी का जिक्र सदन में किया। उन्होंने कहा,”एक लाख लोगों को बंदी बनाना आसान काम नहीं, लेकिन आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने बता दिया कि हमारे करीब आए तो खैर नहीं।” अहमद फराज की शायरी ‘तुम खंजर क्यों लहराते हो…’ से खरगे ने मोदी सरकार पर तंज कसा।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ”हमारी बहादुर नेता इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को दो हिस्सों में विभाजित किया। बांग्लादेश को आजाद करवाया। इस देश का गौरव दुनिया भर में फैला। वहां (बांग्लादेश में) जो अराजकता चल रही है, कम से कम इन (बीजेपी) लोगों को अपनी आंखें खोलनी चाहिए। वहां के अल्पसंख्यकों को बचाने की कोशिश करनी चाहिए।”
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा,” 1949 में आरएसएस नेताओं ने भारत के संविधान का विरोध किया था क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं था। न तो उन्होंने संविधान को स्वीकार किया और न ही तिरंगे को। 26 जनवरी 2002 को पहली बार मजबूरी में आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा फहराया गया। क्योंकि इसके लिए कोर्ट का आदेश था।”
संविधान पर बहस के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘1949 में आरएसएस नेताओं ने भारत के संविधान का विरोध किया था क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं था। न तो उन्होंने संविधान को स्वीकार किया और न ही तिरंगे को। 26 जनवरी 2002 को पहली बार मजबूरी में आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा फहराया गया क्योंकि इसके लिए कोर्ट का आदेश था।’
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘हमारी बहादुर नेता इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को दो हिस्सों में विभाजित किया और बांग्लादेश को आजाद कराया। इस देश का गौरव दुनिया भर में फैला। वहां (बांग्लादेश में) जो अराजकता चल रही है, कम से कम इन (भाजपा) लोगों को अपनी आंखें खोलनी चाहिए और वहां के अल्पसंख्यकों को बचाने की कोशिश करनी चाहिए।’
राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘1950 में सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पत्रिका ‘क्रॉस रोड्स’ और आरएसएस की संगठनात्मक पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन इसके जवाब में (तत्कालीन) अंतरिम सरकार ने सोचा कि पहले संविधान संशोधन की आवश्यकता है और इसे कांग्रेस द्वारा लाया गया था। यह अनिवार्य रूप से स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए था। भारत आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है। देश ने पहली अंतरिम सरकार को एक संविधान संशोधन के साथ आते देखा, जिसका उद्देश्य भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना था।