जनजीवन ब्यूरो/नई दिल्ली: केन्द्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ओबीसी को लेकर कहा कि 2014 के बाद से, नए सिरे से ओबीसी को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव आया है. आज उनकी आवाज़ सुनी जाती है और शासन और नीति-निर्माण में उनके अधिकारों को पूरी तरह से मान्यता दी जाती है। यादव बैकवर्ड क्लासेस सेन्टर फॉर इम्पॉवरमेंट (बी.सी.सी.ई) के द्वारा दिल्ली में अम्बेडकर इन्टरनेशनल सेन्टर के भीम ऑडिटोरियम में भारत में सामाजिक सुधार, शासन और ओबीसी पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के ओ.बी.सी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण, विनय सहस्त्र बुद्धे पूर्ब राज्यसभा सदस्य, विरेन्दर गोड़ निदेशक (बी.सी.सी.ई) शामिल थे।
विनय सहस्त्र बुद्धे पूर्ब राज्यसभा सदस्य ने कहा, कि उपेक्षित वर्गों के न्याय की बात करते हुये कहा कि हर भारतीय के मन में घर से बाहर निकलने के बाद गांव की भावना, गांव से निकलने के बाद जनपद की भावना और जब जनपद से ऊपर उठें तो अपने मन में मानवता की भावना सर्वोपरि रखनी चाहिये और “समाज के उन सारे तत्वों के बारे में सोचने का हम सभी का दायित्व बनता है, जो समाज में उपेक्षित रहे हैं, जिनको न्याय मिलना चाहिये उसको समय-समय पर नकारा गया। उपेक्षित वर्गों के साथ न्याय की भावना होनी चाहिये।” उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सामाजिक कल्याण में कल्याण को हटाकर न्याय किया ताकि समाज के हर वर्ग के लोग सामाजिक न्याय के विचार से प्ररित हो सके ।
केन्द्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेद्र यादव ने कहा, “ माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओबीसी समाज को आगे बढ़ाने के लिये रोजगार और आरक्षण दिया। उन्होंने कहा कि हम जातियों में भेदभाव और जातियों के खिलाफ संघर्ष नहीं करना चाहते हैं। हम आगे बढ़ने के विमर्श में पूरा योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को कहा कि आप पिछले दशकों की बातें भूलकर 2047 के बारे में सोचें. हम अभी ऐसे समय में जाने वाले हैं जहां डिजिटल क्रांति होने वाली है…आप ऐसी दुनिया में जाने वाले हो, जो अब डिजिटल के साथ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट्स के साथ जुड़कर काम करने वाली है।
मंत्री ने कहा, “कांग्रेस सरकार ने ओबीसी समाज के साथ भेदभाव किया. कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी समाज को जितना अधिकार और जिस तरह का वातावरण देना चाहिए था, वो 70 साल से रोक कर रखा था लेकिन आज आपके (ओबीसी) पास अवसरों की उपलब्धता आपके पास है और भविष्य की चुनौतियों को पहचानने की क्षमता आपको विकसित करनी है.”
भाजपा ओबीसी मोर्चे के अध्यक्ष डॉ के लक्ष्मण ने कहा, “ओबीसी के नाम पर कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। वे पिछले 70 सालों से सत्ता में हैं, फिर भी मंडल आयोग की सिफारिशों का अच्छे से पालन न करने के बावजूद, उन्होंने कुछ नहीं किया। 2014 में सत्ता संभालने के बाद मोदी प्रशासन ने सबसे पहला कदम 2018 में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देना था। उनके अनुसार, इसके बाद ओबीसी छात्रों को केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला दिया जाता है और विभिन्न सरकारी संगठनों में रोजगार के अवसर दिए जाते हैं”
विरेन्दर गोड़ निदेशक (बी.सी.सी.ई) ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, ओबीसी को ब्रिटिश शासन के दौरान सामाजिक-आर्थिक भेदभाव और बहिष्कार का सामना करना पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, समावेशी नीतियों के धीमे कार्यान्वयन और ओबीसी के सामने आने वाली सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों की उपेक्षा के कारण एक अवसर चूक गया, जिसने भारतीय समाज की मुख्यधारा में उनके पूर्ण एकीकरण में बाधा उत्पन्न की गयी । 1990 के दशक में आरक्षण की शुरूआत एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, लेकिन पूर्ण सशक्तिकरण अभी भी प्रगति पर है
इस संगोष्ठी में समुदाय के भीतर एकता के लिए नए सिरे से आह्वान किया गया ताकि उनके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव को मजबूत किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी आवाज सुनी जाए और शासन और नीति-निर्माण में उनके अधिकारों को पूरी तरह से मान्यता दी जाए। . अब, पहले से कहीं अधिक, इस बारे में बात करना महत्वपूर्ण है कि शासन कैसे ओबीसी के लिए वास्तविक सामाजिक सुधार ला सकता है। इस संगोष्ठी का उद्देश्य ओबीसी की हाशिए से मुख्यधारा की राजनीति, शासन और समाज में अधिक भागीदारी तक की यात्रा पर चर्चा करना है।