जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : दिल्ली की सीएम आतिशी को विधानसभा चुनाव में हराने के लिए कांग्रेस पार्टी ने विसात बिछा दी है। सीएम आतिशी के सामने कालका जी सीट से अलका लांबा उम्मीदवार हो सकती है। जबकि सीमापुरी से राजेश लिलोठिया, जंगपुरा से फरहाद सूरी, मटिया महल से आसिम अहमद और बिजवासन से देवेंद्र सहरावत उम्मीदवार हो सकते हैं। कांग्रेस आज उम्मीदवारों के नामों की दूसरी सूची जारी कर सकती है। बैठक में 28 सीटों पर चर्चा हो गई है जबकि साच सीटों पर चर्चा बाकी है।
कालका जी सीट से अलका लांबा हो सकती हैं उम्मीदवार
दिल्ली चुनाव को लेकर 28 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तकरीबन तय हो गए हैं। वहीं सीएम आतिशी के सामने कालका जी सीट से अलका लांबा उम्मीदवार हो सकती है। जबकि सीमापुरी से राजेश लिलोठिया, जंगपुरा से फरहाद सूरी, मटिया महल से आसिम अहमद और बिजवासन से देवेंद्र सहरावत उम्मीदवार हो सकते हैं।
मटिया महल विधानसभा से आसिम अहमद हो सकते हैं उम्मीदवार
मटिया महल विधानसभा से पूर्व विधायक और पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री आसिम अहमद खान ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। आसिम अहमद खान 2015 से 2020 तक आम आदमी पार्टी के विधायक रहे थे।
आसिम अहमद खान ने कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव और अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा और नीतियों ने उन्हें पार्टी से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
2015 में मटिया महल विधानसभा सीट पर उन्होंने आप के टिकट पर भारी मतों से जीत हासिल की थी और अरविंद केजरीवाल सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री का पदभार संभाला था। हालांकि, बाद में उन्हें कथित भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मंत्री पद से हटा दिया गया था।
आसिम अहमद खान का कांग्रेस में शामिल होना दिल्ली की राजनीति में अहम माना जा रहा है। खासतौर पर अगले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पार्टी को अल्पसंख्यक वोटों को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
कैसा रहा है अलका लांबा का राजनीतिक सफर
अलका लांबा अभी अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष हैं । अलका लांबा पहले कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थीं पर बाद में फिर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था। वो आप के टिकट पर चांदनी चौक सीट से विधायक भी रहीं। बाद में पार्टी के अंदर किसी मुद्दे को लेकर अलका लांबा ने इस्तीफा दे दिया और फिर से कांग्रेस के साथ चली गईं। अलका लांबा को कांग्रेस ने लोकसभा का टिकट भी दिया था लेकिन वो जीत नही सकी। अब कयास लगाया जा रहा है कि वो दिल्ली की मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं।
क्या है कालकाजी सीट का समीकरण
कालकाजी सीट पर ओबीसी, ब्राह्मण और पंजीबी वोटर्स का अधिक प्रभाव माना जाता है। यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी अपने बड़ी नेत्री को इस सीट से चुनाव लड़वाना चाहती है। अब अगर इस सीट पर दो महिला नेताओं के बीच चुनावी लड़ाई होती है तो मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।