मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम की निकली शोभायात्रा, झांकियों ने मन मोहा, भक्तों ने दिखाया उत्साह
श्रृंगार समिति ने किया उपायुक्त का स्वागत
रांची : डोरंडा में रामनवमी की शोभायात्रा का श्रृंगार समिति व सेंट्रल मुहर्रम कमेटी की ओर से स्वागत किया गया. इस दौरान उपायुक्त मनोज कुमार, एसएसपी प्रभात कुमार, सिटी एसपी डॉ जया राय सहित विभिन्न पूजा समिति के सदस्यों को पगड़ी पहना कर सम्मानित किया गया और स्मृति चिह्न प्रदान किया गया. श्रृंगार समिति की ओर से राधे श्याम विजय, आलोक दूबे, राम लाल व अनिल विजय सहित अन्य पदाधिकारी शामिल थे. उधर, सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के अध्यक्ष अशरफ अंसारी व मुमताज गद्दी की ओर से भी उनका स्वागत किया गया था. इसमें कई अन्य पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित थे.
रांची: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की शोभायात्रा में शनिवार को श्री राम भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. शोभायात्रा में भीड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्य जुलूस श्री राम जानकी मंदिर तपोवन में था, तो उसका अंतिम भाग शहीद चौक में था. इसके अलावा अन्य सहायक सड़कों में भी राम भक्तों की भीड़ उमड़ी थी, जो मुख्य शोभायात्रा में शामिल हो रही थी. भगवान के जयकारों व श्रीराम जी चले न हनुमान के बिना राम जी चले न हनुमान के बिना, राम जी की निकली सवारी राम जी की लीला है न्यारी.. सहित अन्य मधुर भजनों के बीच भक्त झूम रहे थे. वहीं कई राम भक्तों ने रास्ते भर लाठी-डंडे का खेल दिखाया व तलवारबाजी की.
दिन के दो बजे निकली शोभायात्रा दिन के दो बजे सात जगहों से एक साथ गाजा-बाजा व पारंपरिक अस्त्रों के साथ मुख्य शोभायात्रा निकली. हालांकि, कई जगहों पर हल्की बूंदाबादी के कारण थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन राम भक्त इसकी परवाह किये बगैर आगे बढ़ते रहे. कई जगहों पर युवा झंडे को लेकर दौड़ रहे थे. वहीं, कई प्रमुख चौक-चौराहों पर झंडों का प्रदर्शन भी कर रहे थे. मुख्य शोभायात्रा शाम साढ़े चार बजे के करीब अलबर्ट एक्का चौक पहुंची. सबसे आगे अध्यक्ष जय सिंह यादव व मंत्री सतीश यादव सहित अन्य पदाधिकारी खुली जीप में हाथ में तलवार लिये हुए थे.
इसके पीछे-पीछे शोभायात्रा थी. शोभायात्रा यहां से सजर्ना चौक, काली मंदिर चौक होकर मेन रोड, ओवरब्रिज, निवारणपुर होते हुए तपोवन राम-जानकी मंदिर पहुंची. यहां श्री महावीर मंडल रांची के झंडे की मंदिर के महंत व पुजारियों ने पूजा-अर्चना की. अन्य झंडे की मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर सटा कर पूजा की गयी. पूजा के बाद सभी अखाड़ेधारी अपने-अपने अखाड़े में लौट गये.